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रेड में दिखा सिंघम का अलग अवतार, ज़बरदस्त फिल्म है रेड, बॉलीवुड फिल्मों में हम ज्यादातर ऐक्शन हीरोज को पुलिस या आर्मी की यूनिफॉर्म में दुश्मनों से भिड़ते देखते हैं। खुद अजय देवगन भी कई फिल्मों में पुलिस और आर्मी ऑफिसर के रोल में यह कमाल दिखा चुके हैं। इनमें उनकी ‘सिंघम‘ और ‘गंगाजल‘ से लेकर ‘जमीन‘ तक कई फिल्में शामिल हैं। लेकिन इस फिल्म रेड में अजय देवगन एक ऐसे हीरो के रोल में हैं, जो कि बिना वर्दी के ही अपना दम दिखाता है।
अजय देवगन को अपने किरदारों को खास अंदाज में जीने के लिए जाना जाता है। इस फिल्म में उन्होंने दिखा दिया कि रोल चाहे वर्दी वाले हीरो का हो या बिना वर्दी वाले हीरो का, वह उसे उतनी ही शिद्दत से करते हैं। वहीं राजाजी के रोल के लिए तो जैसे सौरभ शुक्ला से बढ़िया कोई दूसरा कलाकार हो ही नहीं सकता था। इलियाना डीक्रूज ने भी अपने छोटे से रोल के मुताबिक ठीकठाक ऐक्टिंग की है। वहीं राजाजी की दादी भी कमाल लगी हैं। इससे पहले ‘आमिर‘ और ‘नो वन किल्ड जेसिका‘ जैसी धारदार फिल्में बना चुके ‘रेड‘ फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता ने काफी अरसे पहले पड़े इस हाईप्रोफाइल छापे के असल गुनहगार और अफसर के नाम भले ही बदल दिए हों, लेकिन उस समय के माहौल को क्रिएट करने में वह काफी हद तक सफल रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक फिल्म रेड 1981 में लखनऊ में पड़े एक हाई प्रोफाइल छापे की सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें एक निडर इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) का ऑफिसर अमय पटनायक (अजय देवगन) सांसद रामेश्वर सिंह उर्फ राजाजी सिंह (सौरभ शुक्ला) के यहां अपनी पूरी टीम के साथ छापा मारता है। राजाजी बचने के लिए अपना पूरा जोर लगाता है, वहीं अमय भी पीछे नहीं हटता। हालांकि इस रस्साकशी में किसकी जीत होती है, यह तो आपको थिएटर जाकर ही पता लग पाएगा। इस पूरे घटनाक्रम में साहसी ऑफिसर अमय की पत्नी नीता पटनायक (इलियाना डीक्रूज) भी अपने पति को पूरा सपॉर्ट करती है।
वहीं राजकुमार गुप्ता के साथ मिलकर फिल्म की स्टोरी और डायलॉग लिखने वाले रितेश शाह ने अपना कमाल दिखाया है। फिल्म के संवाद दर्शकों को पसंद आएंगे। इससे पहले फिल्म ‘पिंक‘ में अपने काम के लिए तारीफें बटोर चुके रितेश ने ‘रेड‘ में भी स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग पर मेहनत की है। खासकर ऐसी फिल्म जो कि किसी सत्य घटना पर आधारित हो, वहां आपके पास बहुत कुछ ड्रामेटिक करने के लिए नहीं होता। इंटरवल से पहले फिल्म आपको मजेदार लगती है, तो सेकंड हाफ में यह काफी रोमांचक हो जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि राजकुमार गुप्ता ने एडिटिंग काफी कसी हुई की है, जिस वजह से यह फिल्म महज दो घंटे से कुछ ज्यादा टाइम में खत्म हो जाती है।